स्वास्थ्य-चिकित्सा >> आरोग्य कुंजी आरोग्य कुंजीमहात्मा गाँधी
|
0 |
गाँधी जी द्वारा स्वास्थ्य पर लिखे गये लेख
गांधीजी जब १९४२-'४४ के बीच आगाखां महल, पूनामें नजरबन्द थे, तब उन्होंने ये प्रकरण लिखे थे। जैसा कि मूल पुस्तक की हस्तलिखित प्रति बतलाती है, उन्होंने २८-८-'४२ को ये प्रकरण लिखने शुरु किये और १८-१२-'४२ को इन्हें पूरा किया था। उनकी दृष्टिमें इस विषयका इतना महत्त्व था कि दे हमेशा इन्हें प्रेसमें देनेसे हिचकिचाते रहे। वे धीरज रखकर इन प्रकरणोंको कर-बार तक तक दोहराते रहे, जब तक इस विषय पर प्रकट किये गये अपने बिचारों से उन्हें पूरा सन्तोष न हो गया। अगर उनका हमेशा बढ़नेवाला अनुभव इन प्रकरणों में कोई सुधार करनेकी प्रेरणा देता, तो वैसा करने का उनका इरादा था। मूल पुस्तक गुजरातीमें लिखी गई थी, जिसका हिन्दी और अंग्रेजी अनुवाद गांधीजीने अपनी रहनुमाई में डॉ० सुशीला नय्यरसे कराया था। घटा-बढ़ाकर अंतिम रूप देनेकी दृष्टिसे गांधीजीने इन दोनों अनुवदोंको देख भी लिया था।
इसलिए पाठक यह मान सकते हैं कि तन्दुरुस्ती के महत्त्वपूर्ण विषय पर गांधीजी अपने देशवासियों से और दुनिया से जो कुछ कहना चाहते थे, उसका अनुवाद खुद उन्होंने ही किया है। ईश्वरकी और उसके प्राणियों की सेवा गांधीजी के जीवनका पवित्र मिशन था और तन्दुरुस्ती के प्रश्नका अध्ययन उनकी दृष्टिमें उसी सेवाका एक अंग था।
अहमदाबाद,
२४-७-'४८
|